कोशिका विज्ञान सामान्य ज्ञान

..


        कोशिका विज्ञान

कोशिका के मुख्य भाग
1 कोशिका भित्ति-यह केवल पादप कोशिका में पाया जाता है यह सेलूलोज का बना होता है यह कोशिका को निश्चित आकृति एवं आकार बनाए रखने में सहायक होता है

2 कोशिका झिल्ली-कोशिका के सभी ऑडियो एक पतली झिल्ली के द्वारा गिरे रहते हैं इस जिले को कोशिका झिल्ली कहते हैं यह अर्ध पारगम्य झिल्ली होते हैं इसका मुख्य कार्य कोशिका के अंदर जाने वाले एवं अंदर से बाहर आने वाले पदार्थों का निर्धारण करना है
3 तारक काय-इसकी खोज वो बेरी ने की थी या केवल जंतु कोशिका में पाया जाता हैतारक काय के अंदर एक या दो कर जैसी रचना होती है जिले सेंट्रल जेल करते हैं समसूत्री विभाजन में यात्रियों का निर्माण करता है

4 राइबोसोम- सर्वप्रथम राबिंसन एवं ग्राम्य 1953 ईस्वी में पादप कोशिका में तथा जी एस पी लांडे ने 1955 ईस्वी में जंतु कोशिका ने राइबोसोम को देखा और 1958 में रॉबर्ट ने इस का नामकरण किया या राइबो न्यूक्लिक एसिड नामक अम्ल व प्रोटीन की बनी होती है यह प्रोटीन संश्लेषण के लिए उपयुक्त स्थान प्रदान करती है अर्थात या प्रोटीन का उत्पादन स्थल है इसलिए इसे प्रोटीन की फैक्ट्री भी कहा जाता है

5 माइटोकांड्रिया -इश्क एक खोज अल्टर मैंने 1886 फ्री में की थी बेंडा ने इसका नाम माइटोकांड्रिया दिया या कोशिका का स्वसन स्थल है कोशिका में इसकी संख्या निश्चित नहीं होती है उच्चायुक्त कार्बनिक पदार्थों का वशीकरण माइटोकांड्रिया में होता है जिससे काफी मात्रा में उर्जा प्राप्त होती है इसलिए माइटोकांड्रिया को कोशिका का शक्ति केंद्र करते हैं इसे यूकेरियोटिक कोशिका के भीतर प्रोकैरियोटिक कोशिका माना जाता है

6 गाल जी काय -इसकी खोज के मिलो गोलजी नामक वैज्ञानिक ने की थी वह इटली के रहने वाले थे या सूचना नलिकाओं के समूह एवम शैलियों का बना होता है गाल जी कांप्लेक्स में कोशिका दारा संश्लेषित प्रोटीन ओ एवं अन्य पदार्थों की पुटी गांव के रूप में पैकिंग की जाती है यह पॉटी का एक गंतव्य स्थान पर उस पदार्थ को पहुंचा देती हैं यदि कोई पदार्थ कोशिका से बाहर स्त्रावित होता है तो उस पदार्थ वाली पुट्टी कहां है उसे कोशिका झिल्ली के माध्यम से बाहर निकलवा देती है इस प्रकार वह को हम कोशिका के अंगो का यातायात प्रबंधक भी कर सकते हैं जो रायपुर में निर्मित प्रोटीन से मिलकर गुरुजी प्रोटीन बनाता है

7 लाइसोसोम- इसकी खोज डीड दुबे नामक वैज्ञानिक ने की थी यह शिक्षकों ने करी जिले से गिरी खेली जैसी रचना होती है इसका सबसे प्रमुख कार्य बाहरी पदार्थों का भक्षण एवं पाचन करना है इस में 24 प्रकार के एंजाइम पाए जाते हैं इसे आत्मघाती थैली भी कहा जाता है

No comments:

Post a Comment