भारत के प्रसिद्ध व्यक्तित्व



       भारत के प्रसिद्ध व्यक्तित्व
अहिल्याबाई-- यह मालवा के राजा मल्हार राव होल्कर की विधवा पुत्र विद्युत थी और जिसमें मल्हारराव की मृत्यु के बाद राज्य पर चतुराई और बुद्धिमत्ता के साथ पर 1764 से 1795 तक मालवा पर शासन किया

 अटल बिहारी बाजपेई --यह जनसंघ से प्रारंभ से ही संबंध रहे या जनसंघ के मंत्री महामंत्री उपाध्यक्ष रहे 1976 में जनता सरकार में विदेश मंत्री रहे उन्होंने 1992 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया बाजपेई 16 मई से 28 मई 1996 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे 1991 में हुए लोकसभा के चुनाव में भाजपा गठबंधन को सर्वाधिक सीटें मिलने के क*** तुंहें दोबारा 19 मार्च 1991 को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई

आर्यभट्ट --यह पांचवी शताब्दी में भारतीय नव वर्ष पर कविता तथा गणित

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर-- यह एक हरिजन नेता थे भारतीय संविधान का प्रारूप बनाने के लिए जो समिति गठित की गई थी उस समिति के संयोजक थे नेहरू मंत्रिमंडल में बहुत दिन तक यह कानून मंत्री रहे परिजनों को अत्याचारों से बचाने के लिए उन्होंने अनेक हरिजनों के साथ बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया था आज भी दलित वर्ग के मसीहा के रूप में सम्माननीय है 1990 में उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से अलंकृत किया गया 14 अप्रैल 1990 से 14 अप्रैल 1971 का जन्म शताब्दी वर्ष मनाया गया बनाने के लिए जो समिति गठित की गई थी उस समिति के संयोजक थे नेहरु मंत्रिमंडल में बहुत दिन तक यह कानून मंत्री रहे परिजनों को अत्याचारों से बचाने के लिए उन्होंने अनेक हरिजनों के साथ बोद्ध धर्म स्वीकार कर लिया था आज भी दलित वर्ग के मसीहा के रूप में सम्माननीय है 1990 में उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से अलंकृत किया गया 14 अप्रैल 1990 से 14 अप्रैल 1971 का जन्म शताब्दी वर्ष मनाया गया

ब्रम्हगुप्तबाल गंगाधर तिलक ने लोकमान्य भी कहते हैं गांधी जी से पूर्व कांग्रेस पर इनका के प्रभाव था यह गरम दल के नेता थे स्वराज हमारा जन्म सिद्ध अधिकार हे हम इसे लेकर रहेंगे या नहीं का कथन था इन्होंने जीता की टिकट गीता राज लिखी है यह मराठी केक अखबार केसरी के संपादक भी थे 1920 में इनका निधन हो गया लोकमान्य भी करते हैं गांधी जी से पूर्व कांग्रेस पर इनका के प्रभाव था यह गरम दल के नेता थे स्वराज हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है हम इसे लेकर रहेंगे या नहीं का कथन था इन्होंने जीता की टिकट गीता राज लिखी है यह मराठी केक अखबार केसरी के संपादक भी थे 1920 में इनका निधन हो गया

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